ऐसा भी होता है?

बात इसी Mother’s Day की है| हमारा परिवार कोटा से मुंबई ट्रेन से आ रहा था, नींद आ नहीं रही थी तो हम लोग थोड़ा खुसर फुसर कर रहे थे कि रात लगभग 1 :30 बजे एक महिला आती है, होगी कोई 30 -35 साल की, बड़े करीने दुपट्टा सर पर लिए हुए और थोड़ी घबराई सी आवाज़ में मेरी पत्नी से पूछती है "आपके पास काजल होगा? वो आँख में लगाने वाला" पत्नी जी ने ना में सर हिला दिया, वो महिला चली गयी| हमने एक दूसरे की तरफ देखा और थोड़ा मुस्कराये - भला रात 2 बजे कौन काजल लगाता है | थोड़ी दूर कोच से आवाज आयी "दीदी काजल होगा आपके पास?" खैर बात आयी गयी हो गयी, हम भी लेट गए| थोड़ा ही समय बीता होगा कि वो महिला फिर पास से निकली, किसी से पूछ रही थी ट्रैन में मेडिकल हेल्प मिलेगी क्या? फिर बाहर निकल गयी शायद TTE को ढूंढ़ने, जितनी जल्दी वो गयी थी उतनी जल्दी वापस भी आ गयी| एक घबराहट सी थी उसके हाव भाव में| मुझे लगा कि पूछना तो बनता है| मैं उठा और उससे बात की, पता चला उसके बच्चे को तेज पेट दर्द हो रहा था, उसे घरेलु इलाज पता था कि काजल चटा दो तो ठीक हो जाता है| वो लगभग रोने की सी हो रही थी, Mothers Day वाले दिन एक माँ इस हाल में? मैं बोला रुकिए मैं कुछ करता हूँ| मैंने फ़ोन निकाला और सर्च किया "railway emergency number" मुझे टोल फ्री नंबर मिला 1800-111-322, डायल किया और पहली ही रिंग में एक बहुत ही जिम्मेदार सी आवाज सुनाई दी| मैंने बताया कि यहाँ कुछ मेडिकल इमरजेंसी है कुछ मदद मिलेगी? जवाब मिला - जरूर!! मैंने फ़ोन उस महिला को दिया, उसने बताया कि क्या परेशानी है, बर्थ नंबर, PNR नंबर वगेरा| लगभग 15 मिनट बाद बड़ोदा स्टेशन आया| मेरे पास फ़ोन आया - मैं बड़ोदा स्टेशन से बोल रहा हूँ, आपने मेडिकल हेल्प मांगी थी? जी हाँ !! आपको डॉक्टर अटैंड करेंगे, धन्यवाद !!
बड़ोदा स्टेशन पर एक डॉक्टर, एक अटेंडेंट, दो पुलिस वाले, एक स्टेशन मास्टर कोच में आये| डॉक्टर ने बच्चे को देखा कुछ दवाई दी और गाडी ठीक समय पर चल भी दी|
पूरा कोच उठ के बैठा हुआ था| लोग पूछ रहे थे - ऐसा भी होता है?

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