सोशल मीडिया को छोडो

पिछले कुछ साल से मैं लोगो को बोलता आ रहा हूँ कि जो कुछ आप सोशल मीडिया मैं देखते हो वो सच नहीं होता या ये जरूरी नहीं की वो सच हो । इस को कहने की अक्सर जरूरत तब पड़ती है जब लोग एक फ़ॉर्वर्डेड मैसेज को सच मान लेते हैं क्योंकि वो आपके एक भरोसेमंद ने भेज होता है जैसे की अगर कोई ATM मैं आप को घेर ले तो उल्टा PIN डाल दो, बिना ये सोचे की मेरा PIN तो 1221 हैं इसमें उल्टा क्या ? या कि ये बात कभी बैंक ने क्यों नहीं बताई ?
खैर ये तो एक मैसेज था क्यों बना किसने बनाया .... क्या पता
पर अब वो समय आ गया है जब हम ये समझें की सोशल मीडिया को छोडो बाबा मीडिया मैं भी आप जो सुनते हो वो जरूरी नहीं की सच हो ही।
पिछले DU इलेक्शन्स मैं ABVP ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। लहर हो या जो भी पर आखिर ABVP के कुछ समर्थक तो होंगे ना ? और नंबर पर जायें तो काफी ज्यादा होंगे ..नहीं ? तो जब जो भी कुछ हुआ उसके बाद वो सब कहा गए ? क्या DU मैं सिर्फ ABVP के विरोधी ही बचे हैं ? समर्थक कहा गए ? कोई मीडिया ये नहीं बता रहा की एक बड़ा वर्ग ABVP के साथ है । बात हो रही है तो बस ABVP के विरोध की । इसे गलत रिपोर्टिंग भी नहीं कह सकते ... ये हैं selective reporting । जो हमें पसंद हैं हम रिपोर्ट करेंगे और जो नहीं उसे नहीं करेंगे
तो सावधान जो आप पड़ते हैं सुनते हैं और देखते हैं जरूरी नहीं की सच हो ... अपना दिमाग लगाओ। चुनाव का समय है बिहार के टाइम पर इख़लाक़ था UP चुनाव है इस बार शहीद की बेटी है
जय हिन्द

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