कुत्ते का पिल्ला

तो कल रात कार ऑफिस पार्किंग में ही छोड़ दी थी । सुबह ऑफिस जाने के लिए उबर बुला ली । घर से निकले ही थे कि ड्राइवर बोला "ये मर जायेगा" मुझे कुछ समझ आता उससे पहले ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिए । मैं बोला क्या हुआ ? उसने ऊँगली से इशारा किया -- "वो देखो" सड़क के बीच में छोटा सा कुत्ते का पिल्ला पड़ा था और गाड़ियां उसके आजू बाजू से निकल रही थी, कुछ ज्यादा नहीं बस 1-2 ही निकली होंगी । मैं बोला मरा हुआ ही है , ड्राइवर बोला नहीं मरा नहीं है सांस चल रही है । गाडी रुकी हुई थी एक रूपये मिनट के हिसाब से मीटर चल रहा था । मुझे लगा कि ड्राइवर जायेगा और कुछ करेगा , पर वो फिर बोला "हाँ जिन्दा ही है " । तभी एक जेसीबी तेजी से आती दिखी । हे भोलनाथ वो मासूम वही पड़ा था । मुझसे रहा नहीं गया मेरे अंदर का इंसान जागा और मैंने कुछ करने की ठान ली । जेसीबी तेजी से पिल्लै की ओर आ रही थी । मैंने झट से कार का दरवाजा खोला लैपटॉप बैग कंधे पर लिया (UP से हैं, इंसानियत के जोश मे होश नहीं खोते ) और पिल्लै के पास दौड़ा । मुझे देख कर जेसीबी वाले ने थोड़ा साइड कर ली । मैंने पिल्लै को ध्यान से देखा- बहुत ही गन्दा पिल्ला था हलके भूरे रंग का, कुछ सफ़ेद पट्टी और काले कान - आँख बंद करे पड़ा था। मैंने उसे हिलाया - बिलकुल भी रिएक्शन नहीं। शायद कोई गाडी मार के चली गयी होगी। दिल पसीज उठा। इतनी मासूम जान, बड़ी मुश्किल से 6 -7 हफ्ते का होगा और ये हश्र? इतनी सी देर में कुछ लोग भी जमा हो लिए देखने के लिए कि क्या होता है? दो स्कूल जाते बच्चे, एक बाइक सवार और बाजू वाली बिल्डिंग की दो महिलाये (शायद मॉर्निंग वाक को निकली होंगी, पर इतना लेट कौन मॉर्निंग वाक करता है ?) जो भी हो मैंने उस पिल्लै को उठाया, चोट तो कही दिख नहीं रही थी पर एक बार वो कूँ कूँ बोला, जिन्दा तो था। मैंने गर्दन उठाई देखने की लिए की कहा रखु ? सड़क किनारे एक पेड़ की छाव दिखी, सोचा वही रख देता हुँ आखिरी पलों में कुछ तो आराम मिलेगा । वो मासूम मेरे हाथों में अभी भी आँख बंद करके पड़ा था - कोई रिएक्शन नहीं । मैंने धीरे से उसे जमीन पर लिटा दिया। वो मॉर्निंग वाक वाली अभी भी देख रहीं थी । अपने को क्या । मैं कार की तरफ बड़ा, ड्राइवर पानी की बोतल ले कर खड़ा था। मुझे लगा की शायद पिल्लै को पिलायेगा पर नहीं वो तो मेरे हाथ धुलाना चाहता था, आखिर बैठना तो उसकी कार में था ना। मैंने हाथ धोये और मुड़ के पिल्लै की तरफ देखा - बाबा रे! वो तो मस्त कूद रहा था !! जिसको हम मरा समझ रहे थे वो तो सड़क पर पड़ा सुबह की धूप सेक रहा था ।

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